घांची हैं मोदी लेकिन नीच नहीं जान लो दुनिया वालो
घांची हैं मोदी लेकिन नीच नहीं जान लो दुनिया वालो
घांची हैं मोदी लेकिन नीच नहीं जान लो दुनिया वालो अब बात निकली है तो दूर तक जाएगी और अगर बात नरेंद्र मोदी की हो तो निश्चित ही विवाद बन जाएगी.
काँग्रेस का आरोप है कि मोदी ने सत्ता में आने के बाद अपनी जाति को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में शामिल करा दिया था.
हालाँकि अपनी सफाई में गुजरात सरकार ने बताया कि घांची समाज को 1994 से गुजरात में ओबीसी का दर्जा मिला हुआ है. नरेंद्र मोदी इसी घांची जाति के हैं.
गुजरात कांग्रेस के नेता शक्तिसिंह गोहिल ने मोदी पर आरोप लगाया कि वह पिछड़ी जाति के नही हैं. गोहिल ने कहा कि मोदी 2001 में मुख्यमंत्री बने और राजनीतिक लाभ लेने के लिए 2002 में अपनी जाति को पिछड़ी जाति में डाल दिया.
गोहिल ने गुजरात सरकार के 2002 के एक सर्कुलर का हवाला देते हुए कहा कि मोदी ने मुख्यमंत्री बनने के बाद अपनी जाति को ओबीसी श्रेणी में शामिल कराने के लिए कुछ जोड़तोड़ की है.
गोहिल ने बीबीसी को बताया कि उन्होंने यह पता लगाने के लिए एक आरटीआई याचिका दायर की थी कि घांची जाति को राज्य की ओबीसी सूची में कब लाया गया था.
उन्होंने कहा “मोदी गुजरात राज्य के अमीर और समृद्ध मोढ घांची जाति से हैं. इस बिरादरी को मोदी के मुख्यमंत्री बनने से पहले ओबीसी सूची में कभी शामिल नहीं किया गया था.”
बीबीसी हिंदी से बातचीत में गोहिल ने कहा,”मोदी ने गुजरात सरकार की व्यवस्था को अपने फायदे के लिए बदला है. मोढ घांची समाज को ओबीसी सूची में डालने की कभी कोई मांग नही थीं पर ख़ुद को पिछड़ी जाति का बताकर वोट बैंक की पॉलिटिक्स कर सकें इसलिए उन्होने ख़ुद को पिछड़ा बना दिया.”
बीबीसी हिंदी के पास 1 जनवरी, 2002 को गुजरात सरकार की ओर से जारी किया गया वह पत्र है जिसमें मोढ घांची को ओबीसी सूची में शामिल करने की घोषणा की गई थी.
कांग्रेस के आरोप के जवाब में गुजरात सरकार ने दो दशक पुरानी एक अधिसूचना का ज़िक्र किया जो कहती है कि मोढ घांची (तेली) जाति को अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल किया गया है.
राज्य सरकार के प्रवक्ता नितिन पटेल ने कहा, “गुजरात सरकार के समाज कल्याण विभाग ने 25 जुलाई 1994 को एक अधिसूचना जारी की थी जो 36 जातियों को ओबीसी श्रेणी में शामिल करती थी और इसमें संख्या 25 (ब) में मोढ घांची जाति का ज़िक्र है, इस जाति को ओबीसी में शामिल किया गया है.’
कौन हैं मोढ घांची?
घांची जिन्हें अन्य राज्यों में साहू या तेली के नाम से जाना जाता है, पुश्तैनी तौर पर खाद्य तेल का व्यापार करने वाले लोग हैं. गुजरात में हिंदू और मुस्लिम दो धर्मों को मानने वाले घांची हैं. इनमें से उत्तर पूर्वी गुजरात में मोढेरा से ताल्लुक रखने वालों को मोढ घांची कहा जाता है. गुजरात के गोधरा हत्याकांड में पकड़े गए ज़्यादातर लोग घांची मुसलमान थे.
जाने माने सामाजिक वैज्ञानिक अच्युत याग्निक कहते हैं कि यह कहना गलत होगा कि मोदी एक फर्जी ओबीसी हैं.
उन्होंने कहा, “कांग्रेस का आरोप इसलिए गलत है क्योंकि घांची हमेशा से ही ओबीसी सूची में आते हैं. मोदी जिस जाति से हैं वह घांची की ही एक उपजाति है. इसलिए वह ओबीसी सूची में कहलाएँगे.”
गुजरात के राजनीतिक विचारक घनश्याम शाह भी याग्निक की बात से सहमत हैं.
घनश्याम शाह ने कहा, “गुजरात में घांची समाज राज्य के सभी हिस्सों में फैला हुआ है. इसका एक हिस्सा मोढेरा सूर्य मंदिर के आस-पास के इलाकों में है जिसे मोढ घांची कहते है.”
पर सवाल यह है कि अगर मोदी की जाति ओबीसी सूची में आती थी तो फिर सरकार ने 2002 में यह परिपत्र क्यों जारी किया?
अपना नाम दिए जाने से इनकार करते हुए गुजरात सरकार के एक सीनियर अधिकारी ने बीबीसी हिंदी को बताया, “समस्या यह थी कि जब घांची समाज को ओबीसी सूची में डाला तब उसकी सभी उप जाति को भी उसमेँ शामिल कर देना चाहिए था. पर ऐसा नही हुआ. इसलिए गुजारत सरकार ने एक नया परिपत्र जारी करके मोढ घांची का उसमें शामिल कर लिया.”
हलांकि जब उनसे यह पूछा गया कि क्या यह मोदी के कहने से हुआ तो उन्होने इस बारे में ‘जानकारी नहीं है’ कहकर बात समाप्त कर दी.