1 February, 2018 09:37
: क्या मारे गए व जिंदा गैंगस्टरों के राजनीतिक व पुलिसिया संबंधों की भी होगी जांच
अबोहर पंजाब:गैंगस्टर विक्की गौंडर ओर प्रेमा लाहौरिया के एनकाऊंटर के बाद लगातार हो रही पुलिस व कांग्रेस सरकार की बल्ले-बल्ले के बीच इन दोनों गैंगस्टरों के राजनीतिक नेताओं से ङ्क्षलक सामने आने की खबरों ने सारे मामले को एक बार फिर से नई दिशा की ओर मोड़ दिया है। चाहे इस मामले में गौंडर का नाम एक कांग्रेस के पूर्व मंत्री से जोड़ा जा रहा हो पर सवाल यह उठता है कि क्या सारे केस में दोषी सिर्फ गैंगस्टर ही हैं। युवावस्था में आम घरों के नौजवान कैसे पंजाब के बड़े गैंगस्टर बन गए, इस ओर किसी का ध्यान नहीं है।
सवाल यह भी है कि बिना राजनीतिक व पुलिसिया संबंधों के कोई छोटा-मोटा गुंडा बड़ा गैंगस्टर कैसे बन सकता है। इन सवालों के बीच कटघरे में पुलिस की जांच का दायरा भी आता है। क्या एक गैंगस्टर को पकड़ या मारकर और उसके साथियों को पकड़कर गैंगस्टर बनने व अपराध की घटनाएं कम हो जाएंगी।
शुरूआती अपराध के समय न बरती जाए नर्मी
मामले बारे आपराधिक केसों से संबंधित एक एन.जी.ओ. के एक मैंबर से बात की तो उन्होंने कहा कि गैंगस्टरों को मारकर खुद की पीठ थपथपाने वाली पुलिस को यह नहीं भूलना चाहिए कि गैंगस्टर तब तक पैदा होते रहेंगे जब तक उन्हें शुरूआती अपराध के समय राजनीतिक दबाव में नर्मी से डील किया जाता रहेगा। यह कैसे संभव है कि बिना राजनीतिक प्रोटैक्शन के कोई दर्जनों पुलिस कर्मियों की सुरक्षा में किसी अपराधी को गोलियों से भून जाए, जेल तोड़कर फरार हो जाए, फरार होने के 3 साल तक पंजाब में ही घूमता रहे और इस बारे पुलिस, सी.आई.डी. व अन्य एजैंसियां उसका पता भी न लगा पाएं।
जेलों में कैसे मिलती हैं सुविधाएं
आपराधिक मामलों के माहिरों का मानना है कि अपराध रोकने के लिए जरूरी यह है कि इन गैंगस्टरों को आश्रय देने वाले नेताओं व इनसे अवैध काम करवाने, जमीनें हथियाने में मदद लेने और मोटी रकम लेकर इनको न पकडऩे वाले पुलिस अधिकारियों पर भी कार्रवाई हो। क्या जांच के दायरे में वे बड़े अधिकारी और नेता नहीं आने चाहिएं जिनकी प्रोटैक्शन में इन गैंगस्टरों, बदमाशों या तस्करों को जेल में बैठे-बैठे हर प्रकार का नशा, मोबाइल, इंटरनैट और अन्य सुविधाएं मिलती हैं और बदले में उनसे हर राजनीतिक मदद ली जाती है तथा वोट बैंक मजबूत किया जाता है। माहिरों का मानना है कि अगर गैंगस्टरों के राजनीतिक व पुलिसिया आकाओं व इनके गैंगस्टर बनने के सफर में इन्हें प्रोटैक्शन देने वालों पर कार्रवाई नहीं होगी और उन सारे ङ्क्षलक्स को नहीं खंगाला जाएगा जिनके आधार पर गौंडर और लाहौरिया जैसे युवा अपराध की कांटों भरी राह पर आगे बढ़ते चले गए तो ये अपराध कम नहीं होंगे।
बजट पर कांग्रेसियों का प्रदर्शन, बताया एक्सपायरी डेट की चॉकलेट जैसा
अमेठी लखनऊ से मोदी सरकार ने गुरुवार को चौथा आम बजट पेश किया। इस बार के आम बजट में आम आदमी को थोड़ी राहत देने की कोशिश की गई है, लेकिन विपक्षी पार्टियां इस बजट को चुनावी बजट बता रही हैं। इसी के चलते कांग्रेस बजट को लेकर जमकर विरोध-प्रदर्शन कर रही है।
बता दें कि यूपी के कई जिलों में में कांग्रेस कार्यकर्त्ताओं ने जमकर बजट का विरोध किया। शहर के सुभाष चौराहे पर कांग्रेस कार्यकर्त्ताओं ने झुनझुना पकड़ कर अपना अनोखा विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शन कर रहे कार्यकर्त्ताओं ने कहा कि ये बजट केवल झुनझुना देने के बराबर है। इससे आम आदमी को कोई भी राहत नहीं मिली है। पेट्रोल और डीजल के दाम आसमान छू रहे हैं। ऐसे में यह बजट मोदी सरकार की विफलता को दर्शा रहा है।
कांग्रेस नेता हसीब अहमद का कहना है कि यह जो चौथा बजट केंद्र सरकार ने पेश किया है वो नई बोतल में पुरानी शराब परोस कर दिए जाने जैसा है। मोदी सरकार का यह बजट एक्सपायरी डेट की चॉकलेट जैसा है, जो खाने में स्वाद तो देती है लेकिन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है। उनका यह आखिरी बजट ताबूत में कील साबित होगा। इस बजट से जो आम जनता को जो आशाएं थी उस पर मोदी सरकार खरी नहीं उतरी। आम जनता को मोदी सरकार ने झुनझुना पकड़ाने का काम किया है।
वहीं कांग्रेस नेता मुकुंद तिवारी सुदर्शन कुमार ललित कुमार रामपुर मोनिका का कहना है कि मेरा मानना है कि यह बजट केवल जुमलेबाजी है और 2019 में होने वाले चुनाव के मद्देनजर निकाला गया है। इससे आम जनता को कुछ भी नहीं मिलने वाला है। वादें तो इस बजट में काफी किए गए हैं, लेकिन पिछली बार की तरह जैसे जनता को कुछ नहीं मिला इस बार भी नहीं मिलेगा। इस बजट का कांग्रेस पार्टी विरोध करती है। यह बजट जनविरोधी बजट है।
ममता सिंह
चीफ बीयूरो