संविधान क्या है?

*"🙏🌹👉गणतंत्र🇮🇳दिवस👈🌹🙏"*
की बधाई लेने-देने से पहले गणतंत्र दिवस के महत्व को गहराई और गंभीरता से समझना बेहद जरूरी है, तभी गणतंत्र दिवस मानने और मनाने का औचित्य साकार हो सकता है….

*संविधान लिखे जाने से पहले संविधान और संवैधानिक अधिकारों के लिए तत्कालीन राजनेताओं की जहरीली सोच….*

*1. लोकमान्य तिलक* : "ये तेली, तंबोली, कुर्मी, कुम्हार, चमार संसद में जाकर क्या हल चलाएंगे।"
*2.महात्मा गांधी* : "अगर अंग्रेज शूद्रों को भी आजादी देते हैं, तो मुझे ऐसी आजादी नहीं चाहिए, मैं शूद्रों को आजादी देने के पक्ष में नहीं हूँ।"
*3. महात्मा गांधी* : "मैं शूद्रों को पृथक आरक्षण देने का विरोध करता हूँ।"
*4. सरदार पटेल* : "डॉ अंबेडकर के लिए संविधान सभा के दरवाजें ही नहीं, खिड़कियाँ भी बंद कर दी है, देखता हूँ, डॉ अंबेडकर कैसे संविधान सभा में आता है।"
*5. आरएसएस* : "डॉ अंबेडकर साहब के द्वारा भारत का संविधान लिखने के बाद संविधान को लागू नहीं करवाने के लिए डॉ अंबेडकर साहब के पूरे देश में पुतलें जलाये गये।"

*इसीलिए संविधान की महत्ता और ज्यादा हो जाती है कि इतने दिग्गजों के विरोध के बावजूद बाबा साहब डॉ अंबेडकर साहब ने अपनी योग्यता और चतुराई से देश का ऐसा संविधान लिखा जिसे मानना सबके लिए जरूरी हो गया…..*

अतः सबसे पहले गणतंत्र दिवस की परिभाषा समझने की जरूरत है : *जनता का, जनता के लिए और जनता के द्वारा शासन….* अर्थात गणतंत्र अर्थात प्रजातंत्र अर्थात लोकतंत्र अर्थात जनतंत्र में देश की जनता ही सर्वोपरि है….

महत्व : *गणतंत्र के सम्पूर्ण संचालन में जनता की भागीदारी सुनिश्चित करना….*

संविधान : *देश को संचालित करने का लिखित विधान जिसमें सब नागरिक बिना स्थान, जाति, धर्म, लिंग, भेद के समान भागीदार हों….*

इसी क्रम में संविधान लागू करने और मानने की उपयोगिता देश और प्रत्येक नागरिक के लिए आवश्यक हो जाती है….

संविधान, संविधान-सभा की उप-समिति *प्रारूप समिति के अध्यक्ष भारतरत्न डॉ भीमराव अंबेडकर साहब की अध्यक्षता* में या कटु सच्चाई कहे तो एकमात्र बाबा साहब डॉ अंबेडकर साहब द्वारा 29 अगस्त, 1947 से 26 नवंबर, 1949 की अल्पकालीन समयावधि में लिपिबद्ध किया गया जिसे संविधान-सभा द्वारा 26 नवंबर, 1949 को अंगीकार करके 26 जनवरी, 1950 को समता, समानता, न्याय और बंधुता की अखंड भावना के अंतर्निहित देश में लागू किया गया जिसकी महान स्मृति में प्रत्येक वर्ष गणतंत्र दिवस देशभर में मनाया जाता है….

*संविधान को मानने के अनेकों-अनेकों कारण हैं जिनमें से कुछ पर संक्षिप्त में प्रकाश डाला जा रहा है :-*

*1.* संविधान की दृष्टि में भारत का प्रत्येक नागरिक समान है
*2.* नागरिकों में संवैधानिक रूप से किसी प्रकार का स्थान, जाति, धर्म, लिंग के आधार पर विभेद नहीं किया गया है
*3.* संविधान के अंतर्गत राष्ट्र को सर्वोपरि माना गया है
*4.* सभी जाति-धर्म के लोगों की बिना भेदभाव के संपूर्ण विकास की परिकल्पना की गई है
*5.* राष्ट्र के विकास की मुख्यधारा में सभी नागरिकों की भूमिका निहित की गई है
*6.* सामाजिक आधार पर शोषित, वंचित, बहिष्कृत, पीड़ित वर्ग को भी राष्ट्र की विकास की मुख्यधारा में जोड़ने के लिए विशेषाधिकार प्रतिपादित किए गए हैं
*7.* महिलाओं को लिंगभेद और जातिभेद से मुक्ति दिलाकर उनके लिए राष्ट्र के विकास की मुख्यधारा में समानांतर भूमिका का प्रतिपादन किया गया है
*8.* महिलाओं को पिता और पति की सम्पत्ति का भागीदार बनाया गया है
*9.* महिलाओं के लिए मातृत्व अवकाश और विशेषाधिकारों की व्यवस्था की गई है
*10.* नागरिकों के लिए शिक्षा और सुविधा के साथ-साथ रोजगार देने की सुविधा भी प्रतिपादित की गई है
*11.* नागरिकों को अपनी पसंद का जनप्रतिनिधि चुनने का मताधिकार दिया गया है
*12.* बिना भेदभाव के योग्यता के आधार पर उच्चतम चयन की प्रक्रिया प्रतिपादित की गई है
*13.* बिना भेदभाव के उच्चतम पद तक चुनाव की प्रणाली प्रतिपादित की गई है
*14.* समतामूलक समाज की परिकल्पना को समाहित किया गया है
*15.* विधि के समक्ष सभी नागरिकों को समानांतर माना गया है
*16.* स्वतंत्र चुनाव आयोग की स्थापना की गई है
*17.* स्वतंत्र न्यायपालिका की स्थापना की गई है
*18.* भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना की गई है
*19.* देश की बाहरी और आंतरिक सुरक्षा की संरचना का निर्माण किया गया है
*20.* नागरिकों को मौलिक अधिकारों सहित नीति-निर्देशक नियम प्रदत्त किये गए हैं
*21.* धार्मिक उपाधियों का अंत करके धार्मिक गुलामी से आजादी दिलाई गई हैं
*22.* देश का मूल और ऐतिहासिक नाम *"भारत"* रखकर सभी जाति-धर्मों में देश के प्रति राष्ट्रीय भावना का संचार किया गया है
*23.* राष्ट्र के नाम के परिवर्तन का अधिकार संसद को भी नहीं दिया गया है ताकि कभी कोई साम्प्रदायिक सरकार भी देश के नाम को परिवर्तन नहीं कर सके
*24.* धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र की संकल्पना के तहत किसी भी धर्म को संविधान में दखल करने का अधिकार नहीं है

ये वो कुछ खूबियाँ संविधान की हैंं जिनको हमने जाना हैं….

*आजकल संविधान व जाति-धर्म के विरोध में राजनेताओं द्वारा बहुत कुछ कहा जा रहा है तो हमें यह भी जानना जरूरी है कि किसने क्या कहा….*

*1.प्रधानमंत्री मोदी जी* : "दलित मंदबुद्धि होते हैं।"
*2. संघप्रमुख मोहनभागवत* : आरक्षण जाति आधारित नहीं होना चाहिए, अतः आरक्षण की समीक्षा की जाएं।
*3. केन्द्रीय मंत्री वीके सिंह* : "दलित कुत्ते होते हैं।"
*4. भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी* : "हम यानि भाजपा आरक्षण को निर्रथक कर देंगे।"
*5. केंद्रीय मंत्री अनंतकुमार हेगड़े* : "हम यानि भाजपा सत्ता में संविधान बदलने आये हैं।"
*6. केन्द्रीय मंत्री अनंतकुमार हेगड़े* : "व्यक्ति की पहचान जाति से होनी चाहिए।"
*7. धर्मगुरु स्वरूपानंद सरस्वती* : "हम संविधान को नहीं मानते हैं।"

*यह क्यों कहा गया, यह जानना भी जरूरी है….*

*1.* संविधान के पहले जो जातियां धार्मिक गुलाम थी, वे संवैधानिक अधिकारों को पाकर सक्षम होने लगी हैं जिनकी उन्नति और प्रगति धर्म के ठेकेदारों को हजम नहीं हो रही हैं
*2.* संवैधानिक अधिकारों की बदौलत अशिक्षित वर्ग शिक्षित होकर इनका प्रतिभागी बन गया है
*3.* संविधान प्रदत्त अधिकारों से बहिष्कृत वर्ग अपने अधिकारों को पाने के लिए संघर्ष करने लग गया है
*4.* संवैधानिक अधिकारों से जागरूक होकर गुलाम वर्ग शासक बनने की ओर अग्रसर हो रहा है
*5.* अधिकारसंपन्न होकर पिछड़ी जातियां शारीरिक आत्मरक्षा करने में सक्षम हो रही हैं
*6.* इन्हें कमजोर करने के षड़यंत्र और साजिश के तहत आजकल अनर्गल बयानबाजी करके भारत के बहुजन मूलनिवासियों के विरूद्ध साम्प्रदायिक और जातीय भेदभाव के माहौल का निर्माण किया जा रहा है

*"आपकी सावधानी और जागरूकता ही समाज को वापिस गुलाम होने से बचा सकती है :-"*

*1.* मनुवादी ताकतों ने स्पष्ट इशारा कर दिया है कि वो वापस से भारत के मूलनिवासियों अर्थात SC-ST-OBC को गुलाम बनाने की तैयारी कर रहे हैं जिससे हमें सावधान रहना है
*2.* हमारे बच्चों को मनुवादी संगठनों से दूर करके हमारे महापुरुषों के इतिहास को उन्हें बताना चाहिए
*3.* बच्चों को संविधान की जानकारी देनी चाहिए
*4.* कम खा लेना, परंतु बच्चों को जरूर शिक्षित करना
*5.* संविधान और आरक्षण के विरोधियों को तुरंत जवाब देना होगा
*6.* मनुवादियों के किसी भी संगठन पर विश्वास मत करना क्योंकि मनुवादी धर्म के नाम आपको भ्रमित करके आपसे ही आपके संवैधानिक अधिकारों का विरोध करवाने की साजिश रच सकते हैं
*7.* कोई कितना भी समझाए, यह मान लेना कि हम बाबा साहब डॉ अंबेडकर साहब से ज्यादा बुद्धिमान नहीं हो सकते हैं
*8.* बाबा साहब डॉ अंबेडकर साहब ने जोकुछ किया है, वो बहुत सोच-समझकर किया है अर्थात बाबा साहब डॉ अंबेडकर साहब गलत नहीं हो सकते हैं
*9.* भले चाहे जितनी बड़ी कुर्बानी देनी पड़े, संविधान खत्म मत होने देना
*10.* संविधान बचा रहेगा तो SC-ST-OBC का अस्तित्व भी बचा रहेगा, अन्यथा जिस दिन संविधान खत्म होगा, आप उसी दिन से वापस गुलाम हो जाएंगे

*आइए, अब हम सब SC-ST-OBC की असली आजादी का दिवस "गणतंत्र दिवस" धूमधाम से मनाएं और प्रण करें कि हम खत्म हो जाएंगे, परंतु आरक्षण खत्म नहीं होने देंगे….*

*जय भीम। जय भारत।। जय संविधान।।।*

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