12 December, 2017 16:15

*कांग्रेस के 87 अध्यक्षों में से सिर्फ 6 ही नेहरू-गांधी परिवार से रहे*

एक लम्बे इंतज़ार के बाद आख़िरकार राहुल गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष बन गए। पिछले काफ़ी अरसे से पार्टी में उन्हें अध्यक्ष बनाए जाने की मांग उठ रही थी। कांग्रेस नेताओं का मानना था कि पार्टी की बागडोर अब राहुल गांधी के सुपुर्द कर देनी चाहिए। सोमवार को पार्टी अध्यक्ष पद के प्रस्तावित चुनाव के लिए नामांकन की आख़िरी तारीख़ थी। राहुल गांधी के ख़िलाफ़ किसी ने भी परचा दाख़िल नहीं किया था। कांग्रेस नेता मुल्लापल्ली रामचंद्रन ने कहा कि नामांकन के 89 प्रस्ताव दाख़िल किए गए थे। सभी वैध पाए गए। सिर्फ़ एक ही उम्मीदवार मैदान में है, इसलिए मैं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर राहुल गांधी के निर्वाचन की घोषणा करता हूं। कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष पद पर राहुल गांधी निर्विरोध चुन लिए गए हैं।

ग़ौरतलब है कि अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना 28 दिसम्बर 1885 को हुई थी। 1885 में बोमेश चंद्र बनर्जी कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए। इसके बाद 1886 में दादाभाई नौरोजी, 1887 में बदरूद्दीन तैय्यबजी, 1888 में जार्ज यूल, 1889 में सर विलियम वेडरबर्न, 1890 में सर फ़िरोज़शाह मेहता, 1891 में पी. आनन्द चार्लू, 1892 में बोमेश चन्द्र बनर्जी, 1893 में दादाभाई नौरोजी, 1894 में अलफ़्रेड वेब, 1895 में सुरेन्द्र नाथ बनर्जी, 1896 में रहीमतुल्ला सयानी, 1897 में सी. शंकरन नायर, 1898 में आनन्द मोहन बोस, 1899 में रमेश चन्द्र दत्त, 1900 में एनजी चन्द्रावरकर, 1901 में दिनशा इदुलजी वाचा, 1902 में एसएन बनर्जी, 1903 में लाल मोहन घोष, 1904 में सर हैनरी कॊटन, 1905 में गोपाल कृष्ण गोखले, 1906 में दादाभाई नौरोजी, 1907 में डॉ. रास बिहारी घोष, 1909 में पंडित मदन मोहन मालवीय, 1910 में सर विलियम वेडर्बन, 1911 में पंडित बिशन नारायण धर, 1912 में आर.एन. माधोलकर, 1913 मेंसैयद मोहम्मद बहादुर, 1914 में भूपेन्द्रनाथ बसु, 1915 में सर सत्येन्द्र प्रसन्न सिन्हा, 1916 में अम्बिका चरण मज़ूमदार, 1917 में एनी बेसेंट, 1918 में हसन इमाम और मदनमोहन मालवीय, 1919 में पंडित मोतीलाल नेहरू, 1920 में सी. विजया राघवाचारियर, 1921 में सीआर दास, 1923 में लाला लाजपत राय और मुहम्मद अली, 1924 में मोहनदास करमचंद गांधी, 1925 में सरोजिनी नायडू, 1926 में एस. श्रीनिवास आयंगार, 1927 में डॉ. एमए अंसारी, 1928 में मोतीलाल नेहरू, 1929 में पंडित जवाहरलाल नेहरू, 1931 में सरदार बल्लभभाई पटेल, 1932 में आर. अमृतलाल, 1933 में नेल्ली सेन गुप्ता, 1934 में बाबू राजेन्द्र प्रसाद, 1936 में पंडित जवाहरलाल नेहरू, 1938 में सुभाष चन्द्र बोस, 1940 में मौलाना अब्दुल कलाम आज़ाद, 1946 में पंडित जवाहरलाल नेहरू और सितंबर 1946 में आचार्य जेबी कृपलानी पार्टी अध्यक्ष बने।

आज़ादी के बाद 1948 में बी. पट्टाभि सीतारमय्या कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए। इसके बाद 1950 में पुरुषोत्तम दास टंडन, 1951 में पंडित जवाहरलाल नेहरू, 1955 में यूएन ढेबर, 1960 में इंदिरा गांधी, 1961 में एन. संजीव रेड्डी, 1962 में डी. संजिवैया, 1964 में के. कामराज, 1968 में एस. निजिलिंगप्पा, 1969 में सी. सुब्रमण्यम, 1970 में जगजीवन राम, 1971 में डी. संजिवैया, 1972 में डॉ. शंकर दयाल शर्मा, 1975 में देवकांत बरूआ, 1976 में ब्रह्मनंदा रेड्डी और 1978 में इंदिरा गांधी कांग्रेस की अध्यक्ष बनीं। इंदिरा गांधी की मौत के बाद पंडित कमलापति त्रिपाठी कार्यकारी अध्यक्ष बनाए गए। फिर 1984 में राजीव गांधी को पार्टी अध्यक्ष की ज़िम्मेदारी सौंपी गई। उनके बाद 1991 में पीवी नरसिंह राव, 1996 में सीताराम केसरी और 1998 में सोनिया गांधी को सर्वसम्मति से कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया।

क़ाबिले-ग़ौर है कि मोतीलाल नेहरू से राहुल गांधी तक नेहरू परिवार के सिर्फ़ 6 लोग ही कांग्रेस के अध्यक्ष बने हैं। कांग्रेस की कट्टर विरोधी भारतीय जनता पार्टी के नेता इसे ’गांधी परिवार’ की पार्टी कहकर जनता को गुमराह करते हैं। कांग्रेस ने देश को सात प्रधानमंत्री दिए हैं, जिनमें जवाहर लाल नेहरू, गुलज़ारी लाल नन्दा, लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, पीवी नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह शामिल हैं। इनमें से सिर्फ़ तीन प्रधानमंत्री ही गांधी परिवार से हैं।

राहुल गांधी को घूमने-फिरने और खेलकूद का बचपन से ही शौक़ रहा है। उन्होंने तैराकी, साईकलिंग और स्कूबा-डायविंग की और स्कवैश खेला। उन्होंने बॉक्सिंग सीखी और पैराग्लाइडिंग का भी प्रशिक्षण लिया। उनके बहुत से शौक़ उनके पिता राजीव गांधी जैसे ही हैं। अपने पिता के तरह उन्होंने दिल्ली के नज़दीक हरियाणा स्थित अरावली की पहाड़ियों पर एक शूटिंग रेंज में निशानेबाज़ी सीखी। उन्हें भी आसमान में उड़ना उतना ही पसंद है, जितना उनके पिता को पसंद था। उन्होंने भी हवाई जहाज़ उड़ाना सीखा। वे अपनी सेहत का भी काफ़ी ख़्याल रखते हैं। कितनी ही मसरूफ़ियत क्यों न हो, वे कसरत के लिए वक़्त निकाल ही लेते हैं। वे रोज़ दस किलोमीटर तक जॉगिंग करते हैं। वे जापानी मार्शल आर्ट आइकीडो में ब्लैक बेल्ट हैं। एक बार उन्होंने मुझे से बात करते हुये कहा था, "मैं अभ्यास करता हूं, दौड़ता हूं, तैराकी करता हूं और आइकीडो में ब्लैक बेल्ट भी हूं।" उन्हें फ़ुटबॉल बहुत पसंद है। लंदन में पढ़ने के दौरान वे फ़ुटबॉल के दीवाने थे।

राहुल गांधी कहते हैं, ”मैं गांधीजी की सोच से राजनीति करता हूं। अगर कोई मुझसे कहे कि आप झूठ बोल कर राजनीति करो, तो मैं यह नहीं कर सकता। मेरे अंदर ये है ही नहीं। इससे मुझे नुक़सान भी होता है। ‘मैं झूठे वादे नहीं करता।" वे कहते हैं, ‘सत्ता और सच्चाई में फ़र्क़ होता है। ज़रूरी नहीं है, जिसके पास सत्ता है उसके पास सच्चाई है। गुजरात में एक चुनावी रैली में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ पर तंज़ कसते हुए कहा, अगर कांग्रेस चुनाव जीतती है, तो हमारी सरकार हर किसी के लिए होगी न कि केवल एक व्यक्ति के लिए। अपने ‘मन की बात’ कहने के बजाय हमारी सरकार आपके मन की बात सुनने का प्रयास करेगी।

बहरहाल, राहुल गांधी के सामने कई चुनौतियां हैं, जिनका सामना उन्हें पूरी हिम्मत और कुशलता से करना है।

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