9 December, 2017 17:08

लोकतंत्र में लोकसभा की गरिमा और सदन के नाम पर सौदेबाजी पर विशेष🍦🍦🍦🍦🍦🍦🍦🍦🍦🍦🍦🍦🍦🍦🍦🍦🍦🍧🍧🍧🍧🍧🍧
इधर प्रसंगवश राजनीति और राजनेताओं पर चर्चा लगातार तीन दिनों से हो रही है।राजनीति और राजनेता का स्वरूप वैसे तो काग्रेंस की स्थापना के समय से शुरू हुयी गंदी राजनीति का स्वरूप लोकतांत्रिक न रहकर अलोकतांत्रिक होता जा रहा है। जनता के रहनुमा भ्रष्ट बेइमान घूसखोर हरामखोर होते जा रहें हैं।इन्हीं राजनेताओं के तमाम कारनामों घोटालों का पर्दाफाश अबतक हो चुका है।इन घोटालों में कुछ घोटालों का पर्दाफाश अदालतों ने किया तो कुछ पत्रकारों ने किया है।आजतक किसी राजनैतिक दल या उसके नेता ने कोई पर्दाफाश नही किया है। समझ में नहीं आता है कि इस राजनीति में राजनेता के रूप लुटेरे बेइमान कैसे आ गये हैं जो हमारे लोकतांत्रिक देश के लोकतंत्र को नेस्तनाबूद कर रातों रात सड़क छाप से हवेली वाले बन जा रहे हैं।राजनीति में एक नहीं तमाम तरह के सौदे होते हैं और कमाई के हजारों रास्ते होते हैं। देश की सर्वोच्च पंचायत लोकसभा और उसके सदस्यों का अपना एक अलग महत्व एवं सम्मान होता है।लोकसभा में सवाल करके कभी कभी सदस्य सरकार को सासंत में डाल देते हैं। इन जनप्रतिनिधियों को ही सरकार के सदन पटल के सामने जनहित के मामलों की तरफ ध्यान आकृष्ट कराने का अधिकार होता है। लोकतांत्रिक प्रणाली में जनता से मिले इस अचूक अनमोल अधिकार का भी सौदा यह राजनेता करने में शर्म नहीं खा रहे हैं।कभी भी कोई समुदाय या समाज एक जैसा नही होता है लेकिन कहावत है कि एक मछली पूरे तालाब को गंदा कर देती है।आज के बदलते राजनैतिक परिवेश में भी जहाँ चंद लोग समाजसेवा के भाव वाली राजनीति को कंलकित कर रहें हैं वहीं अभी भी तमाम राजनैतिज्ञ राजनेता ऐसे भी हैं जिनके बल पर लोकतंत्र जिंदा है और लोकतांत्रिक प्रणाली चल रही है।
आज से तेरह साल पहले यानी वर्ष दो हजार पांच में पत्रकारों ने देश के सर्वोच्च सदन के कुछ सम्मानित जनप्रतिनिधियों द्वारा सदन में सवाल पूंछने के नाम पर की जा रही सौदेबाजी का भंडाफोड़ किया गया था। इसका टीवी चैनलों पर प्रसारण भी हुआ था। शायद लोकतांत्रिक व्यवस्था लागू होने के बाद यह पहला दुर्भाग्यपूर्ण मौका मौका था जबकि सदन बेचने का मामला उजागर हुआ था। इस अभूतपूर्व ऐतिहासिक भंडाफोड़ के बाद भाजपा बसपा कांग्रेस व राजद के ग्यारह पू्र्व सांसदों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया गया था। तेरह साल के अन्तराल के बाद विशेष अदालत ने इन पू्र्व सांसदों को दोषी मानते हुए इनके विरुद्ध मुकदमा चलाने का निर्णय लिया है। पत्रकारों द्वारा किये गये स्ट्रिंग आपरेशन में गांधी के तथाकथित इन राजनैतिक भक्तों को सवाल पूंछने के बदले सौदेबाजी करते दिखाया गया था।यह तो मात्र एक बानगी मात्र थी जिसका पर्दाफाश इत्फिफाक से हो गया इस तरह की सौदेबाजी करने वाले ऐसे तमाम सासंद हो सकते हैं क्योंकि जब बाजार लगती है तो ग्राहक एक दूकान के पास नहीं बल्कि सभी दूकानों के पास सौदा करने जाता हैं।आजकल कुछ राजनेता सदन बेच रहें तो कुछ ऐसे भी है जो हमारी संस्कृति इतिहास भूगोल यहाँ तक कि वतन बेच रहें हैं। भारत जैसे महान लोकतांत्रिक देश में लोकतंत्र की इतने कम समय इस दुर्गति की कल्पना कभी नही की गयी थी। राजनीति चरित्रवानों की होती है दुष्चरित्रों की नही होनी चाहिए क्योंकि चरित्रवानों की राजनीति से लोकतंत्र बलशाली बनता जा और अक्षुण्य होता है।भ्रष्टाचार मुक्त बनाने की दिशा में विशेष अदालत द्वारा लिया गया निर्णय स्वागत योग्य है।
Namo TV
Mamta Singh

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