America ne yerishalam ko rajdhani banaya….

*डॉनल्ड ट्रंप ने यरुशलम को दी इजरायल की राजधानी के रूप में मान्यता*
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अमरीकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने यरुशलम को इजरायल की राजधानी के रूप में मान्यता दे दी है। उन्होंने दशकों पुरानी अमेरिका और अंतरराष्ट्रीय नीति को तोड़कर ऐसा किया। इस कदम से जहां इजरायल खुश है, वहीं अंतरराष्ट्रीय बिरादरी में चिंता है। वे इसे पश्चिम एशिया में हिंसा भड़काने वाला कदम मानते हैं। यह कदम पूर्व अमेरिकी प्रशासनों की कोशिशों के विपरीत भी माना जा रहा है जो कि इस कदम को अशांति के डर से अब तक रोके हुए थे।

डॉनल्ड ट्रंप ने इसे शांति के लिए उठाया गया कदम बताया है जो वर्षों से रुका था। वाइट हाउस में संबोधित करते हुए ट्रंप ने कहा, ‘अब समय आ गया है कि यरुशलम को इजरायल की राजधानी बनाया जाए।’ उन्होंने कहा कि फलस्तीन से विवाद के बावजूद यरुशलम पर इजरायल का अधिकार है। ‘यह वास्तविकता के अलावा और कुछ नहीं है।’

डॉनल्ड ट्रंप ने विदेश मंत्रालय को यूएस दूतावास को तेल अवीव से यरुशलम शिफ्ट करने के निर्देश दिए हैं। हालांकि अधिकारियों का कहना है कि इस प्रक्रिया में अभी एक साल का वक्त लग सकता है। ट्रंप के इस फैसले से पहले भी अरब देशों में इसका विरोध किया गया। गाजा में फलस्तीनी प्रदर्शकों ने अमेरिका और इजरायल के झंडे जलाए। यूरोप में अमेरिका के करीबियों ने भी इस कदम पर सवाल उठाए हैं।

1995 में अमेरिकी कांग्रेस में एक प्रस्ताव पास किया गया था जिसमें दूतावास को यरुशलम में शिफ्ट करने की बात कही गई थी। हालांकि बाद में जो भी राष्ट्रपति सत्ता में आए, उन्होंने यथास्थिति बनाए रखी और इस प्रस्ताव पर अमल नहीं किया। वहीं ट्रंप ने सत्ता में आने से पहले चुनावी वादा कर लिया था कि वह दूतावास को शिफ्ट करवाएंगे। असल में ट्रंप को जो जनाधार मिला है उसमें इजरायल समर्थक वोटरों की बड़ी तादाद थी। यही वजह रही कि उन्होंने सत्ता में आते ही इस चुनावी वादे को पूरा करने की आतुरता दिखाई। हालांकि यरुशलम में जमीन अधिग्रहण और नए दूतावास के निर्माण में कम से कम कुछ साल लगेंगे। ऐसे में दूतावास तुरंत शिफ्ट तो नहीं किया जा रहा है।

इजरायल पूरे यरुशलम शहर को अपनी राजधानी बताता है जबकि फलस्तीनी पूर्वी यरुशलम को अपनी भावी राजधानी बताते हैं। असल में इस इलाके को इजरायल ने 1967 में अपने कब्जे में ले लिया था। इजरायल-फलस्तीन विवाद की जड़ यह इलाका ही है। इस इलाके में यहूदी, मुस्लिम और ईसाई तीनों धर्मों के पवित्र स्थल हैं। यहां स्थित टेंपल माउंट जहां यहूदियों का सबसे पवित्र स्थल है, वहीं अल-अक्सा मस्जिद को मुसलमान बेहद पाक मानते हैं। मुस्लिमों की मान्यता है कि अल-अक्सा मस्जिद ही वह जगह है जहां से पैगंबर मोहम्मद जन्नत पहुंचे थे। इसके अलावा कुछ ईसाइयों की मान्यता है कि यरुशलम में ही ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाया गया था। यहां स्थित सपुखर चर्च को ईसाई बहुत ही पवित्र मानते हैं।

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