दलित सी एम चन्नी को दबाने में कामयाब जट्ट सिद्धू-क्या यह चन्नी की कामयाबी से जलन का नतीजा है ?
चन्नी की लोकप्रियता से घबराए सिद्धू, कुर्सी की राह हो रही थी मुश्किल

जलन ईर्ष्या और घमंड का दूसरा नाम नवजोत सिंह सिद्धू है। नवजोत सिंह सिद्धू की जब तक बल्ले बल्ले होती रहे तब तक नवजोत सिंह सिद्धू प्रसन्न रहते हैं लेकिन अगर एक भी काम सिद्धू को लगे कि उनकी मर्जी के मुताबिक नहीं हो रहा है या किसी और के द्वारा किए गए अच्छे काम से सिद्धू के मुकाबले उसकी छवि आम जनता में अच्छी हो रही है तो नवजोत सिंह सिद्धू का अहंकार का ज्वालामुखी लावा उगलने लगता है होता है और वह 2 साल के बच्चे की तरह टांगे पसार कर जमीन पर लोट लोट कर अपनी बात मनवाने के लिए चीखने चिल्लाने लगते हैं जिसका पता उनकी बॉडी लैंग्वेज से अच्छी तरह सामने वाले को चल जाता है जिस तरीके से नवजोत सिंह सिद्धू ने अपने ही पार्टी के अपने ही लोगों को लगातार निशाना बनाया उसने सिद्धू की छवि को आम वोटरों की नज़र में धूमिल ही किया है । चरणजीत चन्नी भले ही 90 दिन के सीएम बने हों, लेकिन उनके फैसले, कार्यशैली और पीआर मैनेजमेंट से वह हर रोज चर्चा में हैं। सीएम चन्नी के बिजली बिल माफी, बिजली 3 रुपए सस्ती करने, पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ाने समेत कई ऐसे फैसले हैं, जिन्होंने आम लोगों को सीधा प्रभावित किया। इसके बाद देर रात तक लोगों से मुलाकात, ताबड़तोड़ कैबिनेट मीटिंग और कभी भांगड़ा तो कभी हॉकी का गोलकीपर बन उनकी छवि तेजी से बन रही थी।
चन्नी लगातार कैप्टन अमरिंदर सिंह के जाने से कांग्रेस में खाली हुई जगह को भरते जा रहे थे। इसी वजह से चन्नी की तेजी से बढ़ती लोकप्रियता से सिद्धू खेमे में घबराहट थी। कारण साफ था कि अगले चुनाव के बाद सिद्धू के सीएम बनने के रास्ते में बड़ा अड़ंगा लग सकता था। इसी वजह से सिद्धू सीधे आक्रामक हो गए। चन्नी की छवि को एजी और डीजीपी को हटाने के फैसले से गिराने की कोशिश नजर आ रही है।
पंजाब में अनुसूचित जाति के CM चरणजीत चन्नी को बनाया गया है लेकिन अगर देखा जाए तो ‘राज’ जट्ट नवजोत सिद्धू का चल रहा है।
लगता है कहीं न कहीं दलित सी एम चन्नी के साथ काम करने की खटास मन में पाले बैठे जट्ट सिद्धू को रंजोगम हो गया है जिसने उनके मन की गंगा को चन्नी के मन की यमुना के साथ संगम होने से रोक दिया है। सिद्धू के खुदगर्ज़ रवैये के कारण पंजाब में कांग्रेस का SC वोट बैंक का दांव भी उलटा पड़ रहा है। कांग्रेस ने चरणजीत चन्नी को अनुसूचित जाति का पहला सीएम जरूर बना दिया, लेकिन राज जट्ट नवजोत सिद्धू का ही चल रहा है। हर राज्य की तरह जातीय वोट बैंक का गुणा-गणित पंजाब में भी प्रभावी है। अक्सर SC वर्ग को दबाने की बात होती रही है और कांग्रेस सरकार में यह साफ नजर आ रहा है। इससे अनुसूचित जाति के वोटरों में भी अंदरखाते नाराजगी पनप गई है।
खास बात यह है कि कांग्रेस विरोधियों से ज्यादा अपनों के निशाने पर आ चुकी है। पूर्व पंजाब कांग्रेस प्रधान रहे सुनील जाख़ड़ ने तो यहां तक कह दिया कि कथित कंप्रोमाइज्ड लेकिन काबिल अफसर (AG एपीएस देयोल) के बाहर जाने से असली कंप्रोमाइज्ड सीएम (चरणजीत चन्नी) बेनकाब हो गए। सांसद मनीष तिवारी भी नहीं चूके और सीएम चन्नी को बार कौंसिल ऑफ इंडिया की वकीलों को लेकर हिदायतें पढ़ने की नसीहत दे दी।
सिद्धू के अड़ियल रवैए की वजह और उन्हें कांग्रेस हाईकमान की फुल सपोर्ट से पंजाब के सीएम चरणजीत चन्नी की स्थिति को कंप्रोमाइज्ड सीएम की स्थिति बताई जाने लगी है। सिद्धू एक बार फिर सुपर-सीएम की भूमिका में सामने आ गए हैं।
पंजाब में 32% अनुसूचित जाति वोट हैं। लेकिन कभी अनुसूचित जाति का सीएम नहीं बना। इसका कारण जट्ट लॉबी का हावी होना था। जिनकी वोट तो सिर्फ 19% है, लेकिन राजनीतिक दबदबा ज्यादा है। इसलिए पहले BJP ने SC वोट बैंक लुभाने के लिए अनुसूचित जाति का CM बनाने का दांव खेला। उनके पीछे अकाली दल प्रधान सुखबीर बादल ने भी सरकार बनने पर अनुसूचित जाति का डिप्टी सीएम बनाने की घोषणा कर दी। इनके दावों को चित्त कर कांग्रेस ने सीधे CM ही बना दिया। हालांकि अब सिद्धू की अड़ंगेबाजी के चलते सीएम चन्नी को मन मुताबिक काम नहीं करने दिया जा रहा। ऐसे में कांग्रेस हाईकमान सिद्धू की जिद मानते हुए सरकार को नीचा दिखा रही है। ऐसा करके पार्टी न केवल विरोधियों को आलोचना करने का मौका दे रही, बल्कि SC वर्ग के भीतर भी नाराजगी पनप रही है।
कांग्रेस हाईकमान नवजोत सिद्धू के आगे पूरी तरह सरेंडर कर चुकी है। पहले हरीश रावत और अब हरीश चौधरी पंजाब कांग्रेस कलह संभालने में फेल साबित हो रहे। कांग्रेस के SC सीएम के दांव और फिर सीएम चन्नी का काम देख कांग्रेस को बढ़त मिलती दिख रही थी। हालांकि सिद्धू की जिद पर AG एपीएस देयोल को हटा दिया गया।
अब DGP आईपीएस सहोता भी जल्द ही बदल दिए जाएंगे। इसके बावजूद सिद्धू पार्टी का काम नहीं कर रहे। सीएम की औपचारिक घोषणा के बावजूद सिद्धू कांग्रेस भवन से किनारा किए बैठे हैं। पंजाब में दूसरी पार्टियां प्रचार में जुटी हैं तो सिद्धू घर बैठे हुए हैं। सिद्धू ने पार्टी हाईकमान को कह दिया कि अफसर चुन लो या मुझे, एक बार फिर कांग्रेस हाईकमान ने सिद्धू को चुन लिया लेकिन ये कॉग्रेस की सबसे बड़ी गलती है। लोग पूछते हैं कि आखिर सिद्धू के हाथ में कॉंग्रेस हाई कमांड की कौनसी कमजोर नस है जिसे दबाते ही आला कमान भीगी बिल्ली में कन्वर्ट हो जाती है