छूमंतर हो रहे देसी खेल


क्रिकेट, हॉकी, बास्केटबॉल, वालीबॉल और टैनिस आदि खेलों के सामने ऐसे लगने लगा है कि हमारे देश में कोई भी खेल नहीं खेला जाता था और खेलना-कूदना हमें अंग्रेजों ने ही सिखाया। प्राचीन भारतीय खेल तो मात्र अब किताबों तक ही सीमित होकर रह गए हैं।
कई खेलों के विलुप्त होने का खतरा
आज सिर्फ हिन्दुस्तान में ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश में कई प्राचीन खेलें खत्म होने के कगार पर पहुंच गईं। पुराने समय में यही खेलें बड़े शौक के साथ खेली जाती थीं लेकिन अब इन्हें कोई नहीं खेलता। इन प्राचीन खेलों में कबड्डी, खो-खो, गिल्ली-डंडा, बांटें व पिट्ठू आदि शामिल हैं जो आज बच्चे खेलते हुए दिखाई नहीं पड़ते।
सांप सीढ़ी खेल भी खत्म
पुराने जमाने में राजा-महा राजाओं द्वारा शतरंज खेल को बड़े शौक के साथ खेला जाता था। महाभारत में शतरंज खेल का विशेष जिक्र किया गया है। लेकिन शतरंज अब कम ही लोगों द्वारा खेली जाती है। इसी तरह सांप सीढ़ी खेल भी लगभग समाप्त हो चुका है।
आधुनिकता की मार
इन सब प्राचीन खेलों पर आधुनिकता की मार पड़ी है। आज के आधुनिक युग में सामने आए व्हाटसएप व फेसबुक ने लोगों को प्राचीन खेलों से दूर कर दिया है। इसके अलावा लोगों के पास इतना समय भी नहीं रहा कि वे प्राचीन खेलों के लिए समय निकाल सकें।
सरकार करे प्रयास
बुजुर्गों का कहना है कि प्राचीन खेलों को विलुप्त होने से बचाने के लिए सरकार को अपने स्तर पर प्रयास करने चाहिएं। बुजुर्ग भीमा राव ने कहा कि सरकार को स्कूलों में सप्ताह में एक ऐसा पीरियड शुरू करना चाहिए जिसमें विद्यार्थियों को प्राचीन खेलों से अवगत करवाते हुए उन्हें प्राचीन खेलों में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित किया जाए।