कांग्रेस की हार के कारण
गुजरात में इन पांच गलतियों के कारण हारी कांग्रेस
गुजरात विधानसभा चुनाव कांग्रेस के लिए चुनौती भरी संभावनाएं थी। गुजरात का गढ़ जीतने के लिए कांग्रेस के उपाध्यक्ष से अध्यक्ष बने राहुल गांधी ने एड़ी-चोटी का जोर लगा रखा था। इसके बावजूद कांग्रेस की जीत सरकार बनाने की स्थिति में नहीं रही। हालांकि कुछ सीटें बढऩे से पार्टी की ताकत में इजाफा जरूर हुआ। अब कांग्रेस अपनी असफलता की समीक्षा करेगी, लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार गुजरात में कांगे्रस की हार के पीछे पांच प्रमुख कारण मानते हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार गुजरात में हार का पहला कारण चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस की सेक्यूलर छवि के विपरीत राहुल गांधी की ओर से खुद को हिन्दू साबित करने का प्रयास रहा। इसके लिए राहुल गांधी ने मंदिर-मंदिर दौरा किया। इस दौरान राहुल गांधी ने 27 मंदिरों में माथा टेका और कोट पर जनेऊ तक धारण किया, लेकिन किसी मस्जिद या चर्च में नहीं गए। इससे कांग्रेस का परंपरागत मतदाता मुस्लिम बिदक गया। वहीं सोमनाथ मंदिर के विजिटर रजिस्टर में गैर हिन्दू लिखने के बाद राहुल के दोहरे चेहरे के कारण हिन्दू मतदाता भी उन पर विश्वास नहीं कर सका।
दूसरी गलती कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नीच कहना रहा। गुजरात में भाजपा सरकार से थोड़ी नाराजगी के बावजूद मतदाता आज भी मोदी के खिलाफ नहीं है। प्रधानमंत्री मोदी ने भी मणि शंकर अय्यर के नीच वाले वाले बयान के बाद मतदाताओं को यह समझाने का प्रयास किया कि यह बयान गुजरात की अस्मिता का अपमान है। वहीं कांग्रेस की ओर से विकास के पागल होने की बात को भी भाजपा ने जोर-दार ढंग से उठाकर कांग्रेस की सोच पर सवाल खड़ा कर बढ़त बना ली।
कांग्रेस की तीसरी गलती हार्दिक पटेल रहे। कांग्रेस और हार्दिक पटेल के बीच समझौते के बाद भाजपा और प्रधानमंत्री जनता का यह समझाने में कामयाब रहे कि हार्दिक पटेल का उद्देश्य पाटीदारों का आरक्षण दिलाना नहीं, बल्कि कांग्रेस के लिए रास्ता बनाना रहा। इतना ही नहीं कांग्रेस और हार्दिक के बीच तालमेल से पाटीदारों में फूट पड़ गई। कई बड़े पाटीदार नेता भाजपा में शामिल हो गए।
कांग्रेस की हार की चौथी वजह पूर्व प्रदेश अध्यक्ष शंकर सिंह बाघ्ेाला का ऐन चुनाव से पहले पार्टी छोडऩा रहा। बाघेला प्रदेश के कद्दावर नेता हैं। वह पहले भाजपा में थे, लेकिन भाजपा में खुद को नजरअंदाज किए जाने से नाराज होकर कांग्रेस में शामिल हो गए थे। पिछले कई चुनाव में कांग्रेस की हार से परेशान कांग्रेस नेतृत्व ने बघेला का नजरअंदाज करना शुरू कर दिया था। इसके बाद बाघेला ने ऐन चुनाव से पहले कांग्रेस को बाय-बाय कह कर नई पार्टी बना ली। इससे कांग्रेस को काफी नुकसान उठाना पड़ा।
राजनीतिक विश्लेषकों मानते हैं कि गुजरात चुनाव में कांग्रेस को अपेक्षित सफलता न मिलने के पीछे पांचवीें बड़ी वजह अहमद पटेल को मुख्यमंत्री घोषित करना रहा। हालांकि पार्टी तत्काल रोल बैक करते हुए इस घोषणा से पीछे हट गई। मगर तब तक देर हो चुकी थी। इसके कारण कांग्रेस दूसरे बड़े दिग्गज नाराज हो गए और उन्हें अपना भविष्य खतरे में दिखने लगा।
कांग्रेस मुख्यालय में शुरुआती जश्न के बाद सन्नाटा पसरा
नई दिल्ल गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों में सोमवार को कांग्रेस पार्टी की स्पष्ट दिखती हार के बाद दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय में सन्नाटा पसरा हुआ है। हालांकि, मतगणना के शुरुआती रुझानों में गुजरात में भाजपा पर कांग्रेस की बढ़त के रुख से पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं में उत्साह था। कांग्रेस के दिल्ली मुख्यालय में भी जश्न का माहौल था।
गुजरात में कांग्रेस की बढ़त के रुझानों से पार्टी कार्यकर्ता कार्यालय में जुटने लगे लेकिन बाद के रुझानों में राज्य में भाजपा की जीत के संकेतों से यहां सन्नाटा पसरा हुआ है। यह स्पष्ट होने के बाद कि गुजरात और हिमाचल दोनों राज्यों में भाजपा की सरकार बनती नजर आ रही है। पार्टी कार्यकर्ता और नेता कांग्रेस मुख्यालय से निकलना शुरू हो गए। दोपहर तक कांग्रेस कार्यालय में कोई प्रमुख नेता मौजूद नहीं था और जो मौजूद थे उन्होंने मीडिया से बात करने से इनकार कर दिया। महाराष्ट्र से कांग्रेस सांसद राजीव सातव ने हालांकि मीडिया से बात करते हुए कहा कि उनकी पार्टी ने गुजरात में अच्छी लड़ाई लड़ी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विकास एजेंडा के बजाए भावनात्मक रूप से मतदाताओं को लुभाया। सातव ने संवाददाताओं को बताया, मोदी को चुनाव अभियान के आखिरी दिन तक प्रचार करना पड़ा। इससे कांग्रेस के असल प्रदर्शन का पता चलता है।