कैसे होता है किन्नर का अंतिम संस्कार
किन्नरों के बारे में अगर सबसे गुप्त कुछ रखा गया है, तो वो है इनका अंतिम संस्कार। जब इनकी मौत होती है, तो उसे कोई आम आदमी नहीं देख सकता। इसके पीछे की मान्यता ये है कि ऐसा करने से मरने वाला फिर अगले जन्म में किन्नर ही बन जाता है। इनकी शव यात्राएं रात में निकाली जाती है। इसीलिए असली किन्नर अंधेरा होने पर या रात को किसी जजमान के घर बधाई लेने नहीं जाते। ये कहा जाता है कि अगर किसी घर में रात को या सूर्यास्त होने के बाद किसी किन्नर को बधाई दी जाए तो उस घर पर बुरे ग्रह पक्का स्थाई डेरा जमा लेते हैं और घर के सदस्य असाध्य गंभीर रोगों का शिकार हो सकते हैं इसलिए भूल कर भी किसी किन्नर को रात को अपने घरों में घुसने नहीं देना चाहिए क्योंकि असली किन्नर कभी भी अंधेरा होने के बाद जजमानों के घर नहीं जाते । आजकल बेरोजगारी के चलते पैसे कमाने के चक्कर में छोटे छोटे बालों वाले लड़के लेज़रथरेपी से दाढ़ी मूंछ सफाचट करवाकर और 3 डी नकली छातियाँ लगवाकर नकली किन्नरों का रूप धारण करके लोगों के घरों में अंधेरा होने पर घुस कर बधाई मांगते हैं। इन नकली किन्नरों की बड़ी पहचान ये है कि इनके पास ढोलक बाजा नहीं होता। ये जजमानों से गन्दे असभ्य मजाक भी करते हैं । इनके छोटे बालों से इनके नकली किन्नर होने की पुष्टि हो सकती है। ऐसे नकली किन्नरों को रात को बधाई देने वाले के घर का सत्यानाश हो जाता है और जजमानों को धोखा देने वाले नकली किन्नर खुद भी मुसीबतों का शिकार होते रहते हैं इसलिए ना तो किसी नकली किन्नर को रात को बधाई देनी चाहिए और न ही ऐसे ढोलकी रहित नकली किन्नरों को घर में घुसने दिया जाए । अगर धोखे से ऐसे किन्नर घर मे घुस भी आएं तो 7 चम्मच जैतून के तेल में हल्दी और पिसा हुआ धनिया डाल कर इनके ऊपर छिड़काव करके इनको भगाकर पीपल के पेड़ के नीचे जैतून के तेल का आटे का दिया जलाकर अपने अपने गुरु या इष्ट देवता के नाम का 51 बार जाप करने से भला होता है।