ब्रह्म कुमारीज शांतिवन आबू रोड राजस्थान में मीडिया कॉन्फ्रेंस 2018 का आगाज हुआ।इस कार्यक्रम में मंच संचालन सिस्टर बी के मेधा नोएडा ने किया। इसके पहले स्तर में “रोजाना जिंदगी में आध्यात्मिकता और ध्यान का रोल” विषय पर ब्रह्माकुमारी माउंट आबू के सीनियर फैकेल्टी सिस्टर बी के सविता ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए सहज राजयोग के बारे में विस्तारपूर्वक समझाया । गौरतलब है कि ब्रह्मकुमारी शांतिवन एक अंतरराष्ट्रीय अध्यात्मिक यूनिवर्सिटी है जिसके 140 देशों में 8000 से ज्यादा सेंटर हैं और 10 लाख से भी अधिक भाई बहन इस संस्थान से जुड़े हुए हैं तथा इस संस्थान द्वारा राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय को जागरूक करने के लिए अक्सर इस तरह के कार्यक्रम करवाए जाते हैं। इसी श्रंखला की कड़ी के पहले दिन सिस्टर बी के सविता ने बहुत ही सरल शब्दों में तनावपूर्ण हालातों में संतुलित जीवन जीने की कला के विज्ञान के बारे में मीडिया कर्मियों को संबोधित किया । उन्होंने कहा कि विज्ञान धर्म के बिना लंगड़ा है और धर्म विज्ञान के बिना अंधा है और इस तरह विज्ञान और धर्म एक दूसरे के पूरक हैं । विज्ञान का मानव जीवन में बहुत महत्वपूर्ण रोल है । विज्ञान का उपयोग शांति और विनाश दोनों कार्यों के लिए किया जाता है । उन्होंने कहा कि जैसे एक चाकू सर्जन के हाथ में होता है तो वह किसी को जीवन दान देता है जब कि वही चाकू अगर किसी हत्यारे के हाथ में दे दिया जाए तो वह किसी की जान लेने का कारण बन सकता है , इसलिए दोष साधन का नहीं होता दोष मनोदशा का,वृत्ति का होता है। इसी तरह आजकल सोशल मीडिया का उपयोग भी भलाई और बुराई दोनों तरह के तत्व करते हैं। किसी भी दशा या दिशा का निर्धारण किसी व्यक्ति की बुद्धि और गुण ही करते हैं । उन्होंने कहा के धर्म के बिना विज्ञान अधूरा है और विज्ञान के बिना धर्म अधूरा है और जिस धर्म में विज्ञान नहीं तो वह धर्म ना रहकर खाली श्रद्धा या केवल कर्मकांड ही बन के रह जाता है । अगर हम समाज की सोच का केंद्र बनना चाहते हैं तो इसके लिए स्वच्छ आचरण बहुत जरूरी है। अगर हम अपने देवी देवताओं को देखें तो आज हम उनको इसलिए मानते हैं, याद करते हैं और उनका अनुसरण करते हैं क्योंकि उनका आचरण बहुत ही उच्च दर्जे का था और वह बौद्धिक रूप से हम से कई गुना ज्यादा समर्थ थे ।
सिस्टर बी के मेधा नोएडा
सिस्टर बी के सविता ने आजकल मीडिया के रोल पर चर्चा करते हुए कहा कि समाचार आजकल सबसे ज्यादा नकारात्मक दिखाए जाते हैं और इसलिए नकारात्मक प्रभाव डालते हैं, जो कि मनोबल को भी गिराते हैं । जो बुरा समाचार होगा वह ज्यादा सुर्खियों में रहता है और अच्छे विचार अक्सर समाचारों में नहीं दिखाई देते। अगर आप नकारात्मक प्रभाव वाली सामग्री से अपना मन हटाने में सफल हो जाएं तो आपका मनोबल ऊंचा होता है। अगर मनोबल ऊंचा है तो नकारात्मक शक्तियां आपके मन को प्रभावित नहीं कर सकती और आप अपने जीवन को आनंदमई बना सकते हैं लेकिन इसके लिए अभ्यास करना चाहिए और यह इतना आसान भी नहीं। अभ्यास के लिए इंद्रियों की गुलामी से बाहर निकलना बहुत जरूरी है और संयम के डंडे से ही हम कुलांचें मार रहे मन के चंचल मृग को नियंत्रित रख सकते हैं और इस कार्य से हम परमानन्द के पथ की ओर कदम बढ़ा सकते हैं।