पुलिस को करवाना पड़ा भैंस का DNA टेस्ट
नागौर के खींवसर इलाके में एक भैंस के दो दावेदारों से जुड़ी करीब 8 महीने पुरानी पहेली को आखिरकार पुलिस ने जांच से सुलझा लिया। पुलिस जांच में भैंस कांटिया गांव के रहने वाले झालाराम जाट की ही निकली। दूसरे दावेदार पांचला सिद्धा गांव निवासी हिम्मताराम को गलतफहमी हो गई थी। इसी कारण उसने भी भैंस पर दावेदारी करते हुए मुकदमा दर्ज करा दिया।
नागौर एसपी श्वेता धनखड़ ने बताया कि हिम्मताराम खेत में बने ट्यूबवैल पर परिवार के साथ रहता है। वहीं, खेती करता है। उसके पास दो भैंस थीं, जिनको वह चरने के लिए छोड़ता था। करीब 8 महीने पहले हिम्मताराम ने अपनी दोनों भैंस चरने के लिए छोड़ी। लेकिन इनमें से तीन साल की एक भैंस वापस नहीं आई।
हिम्मताराम ने जब भैंस को ढूंढ़ा तो वह गांव के ही झालाराम के खेत में चरती दिखी। उस भैंस को हिम्मताराम ने अपना मान लिया और ले जाने लगा। इसका झालाराम ने विरोध किया। कहा-ये भैंस उसकी है। जिसने उसे एक साल पहले कांटिया गांव में रहने वाले बाबूराम सियाग से 10 हजार रुपए में खरीदा है।
पंचायत ने यूं किया फैसला
भैंस की दावेदारी को लेकर दोनों के बीच झगड़े के बाद मौके पर बाबूराम को बुलाया गया। उसने भी कह दिया था कि यह भैंस उसने ही बेची है। उस समय तो सभी घरों पर चले गए। इसके दो-तीन दिन बाद हिम्मताराम ने गांव कांटिया व आसपास के लोगों को पंचायत के लिए इकट्ठा किया। पंचायत में गांव के लोगों ने हिम्मताराम मेघवाल व बाबूलाल सियाग की भैंस मंगवाई। जब इन दोनों भैंस के बीच उस भैंस को छोड़ा गया तो वह बाबूराम सियाग की भैंस के साथ चली गई। उस समय गांव के लोगों ने हिम्मताराम मेघवाल को समझाया कि यह भैंस झालाराम की है। जिसे बाबूलाल ने उसे बेची थी।
सैंपल डीएनए जांच के लिए भेजे गए, लेकिन जांच नहीं हो पाई
एसपी ने बताया पंचायत का फैसला होने के 4 दिन बाद हिम्मताराम ने भैंस को लेने के लिए झालाराम के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने भैंस विवाद को सुलझाने के लिए झालाराम की भैंस, हिम्मताराम की भैंस व बाबूराम की भैंस का डीएनए परीक्षण करवाने के लिए नमूने लिए। इसके बाद इनको परीक्षण के लिए विधि विज्ञान प्रयोगशाला जयपुर भिजवाया गया। लेकिन वहां जानवरों के डीएनए परीक्षण की सुविधा नहीं होने की वजह से जांच स्पष्ट नहीं हुई। इसके बाद पुलिस ने अपने स्तर से जांच शुरू की।
इसलिए पड़ गया था चक्कर
डिप्टी विनोद कुमार सीपा ने बताया कि हिम्मताराम की भैंस चरते हुए कहीं निकल गई। जब वह अपनी भैंस को ढूंढ़ने गया तो उसकी समान होने की वजह से झालाराम की भैंस को वह अपना समझ बैठा था। पुलिस ने दोनों पक्षों के लोगों से पूछताछ की। साथ ही गांव के 50 से ज्यादा लोगों से बातचीत की। इसके बाद पुलिस ने इस गुत्थी को सुलझाया। पुलिस जांच में भैंस झालाराम जाट की ही निकली।