ट्रांसजेंडर्स – आबोदाना मिल गया , अब आशियाना ढूंढते हैं


कोच्चि मेट्रो रेल लिमिटेड (केएमआरएल) ने जिन 21 ट्रांसजेंडर्स को टिकेटिंग और हाउसकीपिंग से जुड़ी नौकरियां दी थीं, उनमें से 11 काम पर नहीं आए हैं. जबकि कोच्चि मेट्रो 19 जून से अपना कमर्शियल काम-काज शुरू कर चुकी है.
उनके न आने की बड़ी वजह इस बात को माना जा रहा है कि वह शहर में सस्ता और सुरक्षित आवास नहीं खोज पाए हैं.
सरकार का दख़ल

हालांकि प्रदेश के स्थानीय प्रशासन मंत्री केटी जलील ने मेट्रो प्रशासन और कुदंबश्री को ज़रूरी कदम उठाने के निर्देश दिए हैं. ‘कुंदबश्री’ महिला कल्याण और ग़रीबी उन्मूलन के लिए केरल सरकार की ओर से चलाया जा रहा एक कार्यक्रम है.
हाउसकीपिंग विभाग में काम करने वाली ट्रांसजेंडर अमृता शिल्पा ने कहा, ‘केएमआरएल ने हमें बैठक के लिए बुलाया था. अधिकारियों ने कहा है कि हमारे लिए एक होस्टल का इंतजाम करके सबको उसमें शिफ़्ट किया जाएगा. अपने बूते किराये पर घर लेना हमारे लिए मुश्किल होता है. एडवांस देने के लिए हमारे पास पैसा नहीं होता.’
टिकेटिंग में काम करने वाले ट्रांसजेंडर्स को सारी कटौतियों के बाद हर महीने 10,400 रुपये का वेतन मिलता है. हाउसकीपिंग में काम करने वाले ट्रांसजेंडर्स को 9,000 रुपये मिलते हैं. अभी इनमें से कई को ठहरने के किराए में हर रोज़ 600 रुपये ख़र्च करने पड़ रहे हैं.
‘आने-जाने का साधन भी’

अमृता ने कहा, ‘हम इस नौकरी के लिए शुक्रगुज़ार हैं, लेकिन इसके बाद भी हम में से ज़्यादातर तक़लीफ़देह ज़िंदगी जी रहे हैं. तमिलनाडु की तरह सरकार को यहां भी हमें ज़मीन का एक टुकड़ा और राशन कार्ड देना चाहिए, ताकि हम सम्मान से जी सकें. उसी से समाज की सोच भी बदलेगी.’
सरकारी विभाग ने इसमें तब दख़ल दिया, जब ख़बरें आईं कि सस्ता और सुरक्षित आवास न खोज पाने की वजह से कुछ ट्रांसजेंडर्स ने नौकरी छोड़ दी है और कुछ छोड़ने की कग़ार पर हैं.
केएमआरएल के अधिकारी ने कहा कि फ़िलहाल ट्रांसजेंडर्स को कक्कानाडु कोच्चि के एक होस्टल में जगह देने के बारे में सोचा जा रहा है, जिसे कुछ नन चलाती हैं. उन्होंने बताया कि उन्हें दफ़्तर और होस्टल के बीच आने-जाने के साधन मुहैया कराने पर भी विचार किया जा रहा है.